Sunday 27 November 2011

बर्षों पहले जब कभी

बर्षों पहले जब कभी मैं
अपने आँगन के धुल में लेट कर
माँ माँ कहकर पुकारता था
तब माँ अपने आँचल से
मेरे बदन पर लगे धुल को झाड़ती थी
और फिर धुल लगे उस आँचल को
अपने कमर में लपेट लेती थी


बर्षों पहले जब कभी मैं
पिताजी की ऊँगली पकड़ कर स्कूल जाता था
और गर्मी के दिनों में जब
वो छाता लेना भूल जाते थे
तब वो मुझसे कहते थे
कि तुम मेरे परछाही में चलो
तुम्हे धुप नहीं लगेगी 

Tuesday 22 November 2011

मंजिल का पता

जब उसने अपने मंजिल का पता पूछा
फिर से वही सड़क पाया
फिर से वही गली पाया
फिर से वही मकां पाया

जिसके साथ वह जीवन के सपने बुनता था
कभी संग चलता था, कभी रंग भरता था
और फिर कभी उसकी बाहों में सर रख कर
बिलकुल खामोश हो जाता था

ऐसा हो ...

ऐसा हो
मेरे जीवन में
तुम फिर रंग भरो
कभी शर्माओ
कभी घबराओ
कभी मुस्काओ
कभी इठलाओ
कभी बलखाओ
कभी सज कर आओ

ऐसा हो
तुम फिर
मुलाकात करो
कुछ बात करो
सौगात करो
जज्बात भरो

ऐसा हो
तुम फिर
उस बाट चलो
उस घाट चलो
छप छप करते पानी पर
पनघट के उस पर चलो
भीगी हुई उस रेत पर
मुझ जैसा एक मूरत गढ़ों
फिर उसके दिल में
तुम आपना नाम भरो

ऐसा हो
तुम फिर
इकरार करो
इज़हार करो
प्यार करो
मुझको अपने अंक भरो 

ऐसा हो...  

Sunday 20 November 2011

टूटते रिश्ते ...

एक टूटा पुराना रिश्ता
जिसे फिर से जोड़ा गया था
जिसके गाँठ स्पष्ट दिखाई दे रहे थे
अब उस रिश्ते की गिरह भी
ढीली हो चली है
बीते हुए लम्हों की कसक भी
तमाम यादों को दफनाकर
ठंढी हो चली है

वो हवाएँ जो अपने साथ
ढेर सारी खुश्बू समेटकर लाती थी
अब इधर नहीं आती
कि उसके भी रुख अब
बदले-बदले से नज़र आते हैं

वह ख़ामोशी
जो नर्म साँसों कि गर्माहट में
कभी सुकूं देती थी
अब दर्द-ए-बेजुबाँ हो गई है

Monday 14 November 2011

चंद लम्हे


1.

      बादल के कुछ टुकड़े आसमां में छाये थे
      एक चांदनी रात थी,वो मुझसे मिलने आये थे
      फूलों कि खुश्बू थी,कुछ सितारे भी छाये थे
      हम कुछ दूर-दूर बैठे थे, वो फिर भी हमारे थे

2.


देर से ही सही मेरी याद तो आई
रफ्ता-रफ्ता तू करीब तो आई
ये तेरी मोहब्बत है या ज़रूरत
मुझे पता नहीं ए दिल-ए-हुकूमत
बस सुकूं सिर्फ इतना है
कुछ पल के लिए ही सही
तुम्हे मेरी याद तो आई

मुझे मत छेड़ो

मेरी जां मुझे और न छेड़ो
इल्जाम तेरे ही सर जायेगा
टूटे हुए को और न तोड़ो
वरना वह और बिखर जायेगा

वह शख्स जो जिंदा दिल था
बड़ी प्यारी बातें करता था
उसकी बातें अब बेजां हो गई
वह गुफ्तगू भी अब बेजुबां हो गई

उसे मिला तेरी चाहत का सिला
उसके सपने टूटे वह हुआ बावला
उसके अपने छूटे सबसे हुआ फासला
और फिर मिला तुमसे भी गिला

रहने दे उसे अपने हाल पर
न तुम उससे कोई सवाल कर
करना हो तो बस इतना ख्याल कर
कि रहने दे उसे अपने हाल पर