वार जब भी किया निशाना हमेशा सीना रखा
मोहब्बत में 'अदावत का 'अजब क़रीना रखा
नशा अमीरी का था क़ातिल का इल्म भी था
ग़ुरूर ऐसा की हमेशा पलटकर आईना रखा
जो अपनी मुफ़्लिसी का त'आरुफ़ बयाँ किया
पहले अपनी पेशानी पर ग़ैरों का पसीना रखा
न तो दरिया में उतरने का हुनर न ही आश्नाई
वो आवारगी ऐसी की पलटकर सफ़ीना रखा
जब से इश्क़ किया कई क़ब्र दफ़्न हैं सीने में
दिल-ए-क़ब्रिस्ताँ में उलफ़त का दफ़ीना रखा
पूरे बदन पर सिर्फ़ दोस्तों के ख़ंजर के निशाँ
'धरम' ख़ुद पास अपने ये कैसा ख़ज़ीना रखा
क़रीना : ढंग, तौर तरीक़ा
'अदावत : दुश्मनी, वैर, शत्रुता, द्वेष
सफ़ीना : नौका, नाव, कश्ती, पानी का जहाज़
दफ़ीना : धरती में गड़ा ख़ज़ाना
ख़ज़ीना : खजाना / किसी पदार्थ की बहुतायत मात्रा