Thursday 2 February 2017

ऐसा कोई भी न खिलौना आए

खुद अपने बदन के ज़ख्म पर अब न रोना आए
न रात न नींद और न ही वो ख़्वाब सलोना आए

ये फूल जिसके दामन के हैं उन्हें ही मुबारक हो
ऐसे फूल मुझे तो अपने गले में न पिरोना आए

ग़र मोहब्बत है तो बात आर या पार की होगी
मुझे तो इश्क़ में किसी को भी न डुबोना आए

कि यारों का खंज़र यार का ही सीना वाह रे दुनियाँ
मुझे तो दुश्मन को भी न कोई कील चुभोना आए

काठ की दुल्हन मिट्टी का घोडा या कागज़ का हाथी
मेरे दामन में "धरम" ऐसा कोई भी न खिलौना आए