1.
मुलाकात का मसला है
जज्बात का मसला है
दिल फिर से फिसला है
मगर न जाने क्यूँ
कदम पत्थर सा हो गया
अब आगे बढ़ता ही नहीं
2.
मेरे मरने के बाद याद आई मेरी यारी
वह रे तेरी यारी वह रे तेरी तलबगारी
3.
हिज़्र का फिर से मौसम आया
वो तन्हा रोया ज़ार-ज़ार रोया
अश्क की बूंदें समेटी
नाम-ए-यार लिख दिया
जीनतकद: वीरां हो गया
दिल फिर से परीशां हो गया
जीनतकद:- प्रेयषी का घर
4.
वो जो चाँद बन के मिली थी तू
तू अज़ीज थी मेरे करीब थी
ये गिला तुझसे क्यूँ हो गया
मेरा चाँद तन्हा फिर हो गया
5.
पुराने वादों का सफ़र अभी बाकी था
वो फ़िक्र-ए-यार भी अभी बाकी था
मैं चला गया था अकेले उस गली की तरफ
जहाँ उसके साथ जाना अभी बाकी था
6.
उदासी चेहरे से उसकी छुपी ही नहीं
नज़र यूँ झुकी कि फिर उठी ही नहीं
वो खुद परेशां थी जुबां भी खामोश थी
बस सिसकियों ने ही तो कुछ कहा था
अश्क था या समंदर पता ही न चला
गहरा इतना कि मैं माप ही न सका
मैं बहता चला गया संभल ही न पाया
डूबने लगा तो सहारा उसके बाहों का ही था