महफ़िल
Friday 23 March 2012
ऐ मेरे प्यारे वतन
अपनी तबीयत अब किसी से मिलती नहीं
वज़ीरे आज़म की भी अब यहाँ चलती नहीं
चेहरे वज़ीरों के बदल जाते हैं अब दफअतन
तू ही बता कैसे भला हो ऐ मेरे प्यारे वतन
Wednesday 14 March 2012
तुम हो...
तुम हो तो जहाँ भी है
तुम हो तो फिज़ा भी है
तुम हो तो शमां भी है
तुम हो तो खुदा भी है
तुझमे ही फ़ना मैं हूँ
तुझमे भी दिखा मैं हूँ
ग़र तुझको यकीं ना हो
तो फुर्सत में कभी आइना देखना ...
Thursday 8 March 2012
तुम रंग भरो रे
अर्पित अपना स्नेह करो रे
जीवन में तुम रंग भरो रे
भूलकर सारे शिकवे-गिले
तुम भी सबके संग चलो रे
हर से हर का हाथ मिलेगा
जीवन में अब साथ मिलेगा
मिलकर फिर जज़्बात मिलेगा
पग-पग पर अब फूल खिलेगा
हर के रंग में रंगकर अब
निखर जायेगा रूप तुम्हारा
दुर्लभ कुछ भी शेष नहीं है
पा लेगा तू जीवन प्यारा ...
Thursday 1 March 2012
सोच
1.
मैं जब भी किसी नए जगह पर जाता हूँ
वहां एक अनजानी सी बू आती है .....
2.
कीमत अदा करने चला था मोहब्बत-ए-वालिदैन का
एक भिखारी का वह कर्जखोर होकर वापस आया ....
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