1.
हुक़्म की ग़ुलामी की मैंने कहाँ कभी मनमानी की
ख़्वाब में भी "धरम" मैंने सिर्फ तुम्हारी ग़ुलामी की
2.
आ की क़त्ल करके मेरा तू आज़ाद हो जाए
औ" की क़त्ल करके तेरा मैं बर्बाद हो जाऊँ
3.
हर बार अपने कद-औ-कामत को मैंने कुछ यूँ बढ़ा लिया
देश की मिट्टी को उठाया "धरम" और माथे से लगा लिया
4.
तुम चाहो तो दिल में रखो न चाहो तो निकाल दो मुझे
इसपर भी दिल न भरे तेरा "धरम" तो हलाल दो मुझे
5.
बिछड़ी तो मुर्दा जिस्म थी औ" मिली तो ज़िंदा लाश
मुझे तो कभी न थी "धरम" ऐसी ज़िंदगी की तलाश
हुक़्म की ग़ुलामी की मैंने कहाँ कभी मनमानी की
ख़्वाब में भी "धरम" मैंने सिर्फ तुम्हारी ग़ुलामी की
2.
आ की क़त्ल करके मेरा तू आज़ाद हो जाए
औ" की क़त्ल करके तेरा मैं बर्बाद हो जाऊँ
3.
हर बार अपने कद-औ-कामत को मैंने कुछ यूँ बढ़ा लिया
देश की मिट्टी को उठाया "धरम" और माथे से लगा लिया
4.
तुम चाहो तो दिल में रखो न चाहो तो निकाल दो मुझे
इसपर भी दिल न भरे तेरा "धरम" तो हलाल दो मुझे
5.
बिछड़ी तो मुर्दा जिस्म थी औ" मिली तो ज़िंदा लाश
मुझे तो कभी न थी "धरम" ऐसी ज़िंदगी की तलाश