ऐसे रु-ब-रु न हो मेरी नज़र तुझपर टिक न सकेगी
तू फ़ासले से मिल नहीं तो तेरी याद मिट न सकेगी
मुझे आखों से ऐसे न पिला की प्यास बढ़ती ही जाए
सिर्फ ज़ाम दे मुझे नहीं तो तश्ना-लब बुझ न सकेगी
कतरा सी ज़िन्दगी औ" उसमे दरिया भरने की चाहत
की मौत के बाद भी ये ख्वाईश कभी पूरी हो न सकेगी
ज़माने भर की उदासी अपने चेहरे पर लिए फिरते हो
ऐसे में कोई भी ख़ुशी तेरे पहलू में कभी आ न सकेगी
ग़र तमन्ना है उससे मिलने की तो आज मिलो "धरम"
वो कभी भी अपने वादा-ए-फ़र्दा पर मिलने आ न सकेगी
तू फ़ासले से मिल नहीं तो तेरी याद मिट न सकेगी
मुझे आखों से ऐसे न पिला की प्यास बढ़ती ही जाए
सिर्फ ज़ाम दे मुझे नहीं तो तश्ना-लब बुझ न सकेगी
कतरा सी ज़िन्दगी औ" उसमे दरिया भरने की चाहत
की मौत के बाद भी ये ख्वाईश कभी पूरी हो न सकेगी
ज़माने भर की उदासी अपने चेहरे पर लिए फिरते हो
ऐसे में कोई भी ख़ुशी तेरे पहलू में कभी आ न सकेगी
ग़र तमन्ना है उससे मिलने की तो आज मिलो "धरम"
वो कभी भी अपने वादा-ए-फ़र्दा पर मिलने आ न सकेगी