1.
बदन में यूँ ही तो आग न लगी होगी दिल में यूँ ही तो धुआँ न उठा होगा
कि क़फन में लिपटे जज़्बातोँ को 'धरम' जरूर कुछ न कुछ हुआ होगा
2.
कि किताब तो मुकम्मल हो गई मगर हाँ! उसके कई वरक़ कोरे रह गए
मानो ऐसा 'धरम' की मौत के बाद भी ज़िंदगी के कई सपने अधूरे रह गए
3.
ऐसा क्या ख़्याल करूँ की ग़म और पैदा हो ज़ख्म और गहरा हो
औरों के लिए वहॉँ बाग़ हो "धरम" मगर मेरे लिए सिर्फ सहरा हो
4.
साक़ी तू पैमाने में अब ग़म मिला न तो दरार-ए-दिल मिट न सकेगा
क्या कहूं "धरम" कि ये ऐसा दरार है जो बिना ग़म के जुट न सकेगा
बदन में यूँ ही तो आग न लगी होगी दिल में यूँ ही तो धुआँ न उठा होगा
कि क़फन में लिपटे जज़्बातोँ को 'धरम' जरूर कुछ न कुछ हुआ होगा
2.
कि किताब तो मुकम्मल हो गई मगर हाँ! उसके कई वरक़ कोरे रह गए
मानो ऐसा 'धरम' की मौत के बाद भी ज़िंदगी के कई सपने अधूरे रह गए
3.
ऐसा क्या ख़्याल करूँ की ग़म और पैदा हो ज़ख्म और गहरा हो
औरों के लिए वहॉँ बाग़ हो "धरम" मगर मेरे लिए सिर्फ सहरा हो
4.
साक़ी तू पैमाने में अब ग़म मिला न तो दरार-ए-दिल मिट न सकेगा
क्या कहूं "धरम" कि ये ऐसा दरार है जो बिना ग़म के जुट न सकेगा