हर कदम पर नई कश्ती हर सफ़र में नया समंदर चाहिए
ऐ! दिल-ए-परेशां तुझे हर ज़ख्म पर ख़ून-ए-जिगर चाहिए
ऐ! दिल-ए-परेशां तुझे हर ज़ख्म पर ख़ून-ए-जिगर चाहिए
हवा शाख़ से पत्ते को उड़ा ले गई शजर बस देखता रहा
ऐ! बवंडर तुम्हें अपने जुनूँ का और कितना असर चाहिए
ऐ! बवंडर तुम्हें अपने जुनूँ का और कितना असर चाहिए
तलाश-ए-यार कैसे ख़त्म होगी तुझे ख़ुद इसका पता नहीं
ऐ! अँधेरे के अक्स तू ये बता की तुझे कैसी नज़र चाहिए
ऐ! अँधेरे के अक्स तू ये बता की तुझे कैसी नज़र चाहिए
जो मेरे दामन की बुलंदी थी वो किस-किस को नसीब हुई
मुझे तो नहीं मगर हाँ! ज़माने को इसकी पूरी ख़बर चाहिए
मुझे तो नहीं मगर हाँ! ज़माने को इसकी पूरी ख़बर चाहिए
वो एक शक्ल पर मुखौटों चेहरों का चढ़ना-उतरना "धरम"
बावजूद इसके भी उस शक्ल को एक चेहरा-ए-बशर चाहिए
बावजूद इसके भी उस शक्ल को एक चेहरा-ए-बशर चाहिए