Thursday 26 July 2012

डर नहीं लगता

अंगारों पर चलने वालों को
चिंगारी का डर नहीं लगता

समुन्दर की लहरों से खेलने वालों को
दरिया से डर नहीं लगता

जिसके दिल पे चली है हमेशा से तलवारें
उसे किसी छुरी से डर नहीं लगता

इश्क के हर दौड़ में जीतने वालों को
इश्क में फिसलने का डर नहीं लगता

जिसने सीखा है आखों से समंदर पीना
उसे दो-चार जामों का डर नहीं लगता

जिसकी हो हज़ार मासुकाएँ "धरम"
उसे एक के रूठने का डर नहीं लगता  

Monday 23 July 2012

पैगाम-ए-मोहब्बत


हवाओं के हाथों उसने पैगाम भेजा है
अपने दिल पर लिख कर मेरा नाम भेजा है
हर रश्म-ए- उल्फत को तोड़कर
मोहब्बत का पैगाम सरे-आम भेजा है

फूलों से थोड़ी खुशबू भी ली है
तितलियों से थोडा रंग लिया है
परियों की सुन्दरता में सजा कर
मोहब्बत का पैगाम सरे-आम भेजा है

कभी झुककर सलाम भेजा है
कभी लिखकर कलाम भेजा है
हर वादियाँ-ए-हसीं में उसने
मोहब्बत का पैगाम सरे-आम भेजा है

मुस्कुराना एक इल्म है उसका
नज़र में हया भी कुछ कम नहीं
इकरार-ए-मोहब्बत में "धरम"
तुमको भी तौलना कुछ कम नहीं ...  

Saturday 21 July 2012

सूना जीवन

तुम गई तो अपनी स्मृति भी साथ ले जाती
जब भी तुम याद आती हो मुझे कीमत चुकानी पड़ती है
अब वह कोष भी रिक्त हो रहा है
तेरी यादों के दीपक का उजाला ख़त्म हो गया है
बुझे हुए दीपक के कालिख का क्या करूँ

आसमां जो पहले अनंत सा दिखता था
अब शून्य लग रहा है
चांदनी जो खुद आकर लिपटती थी
अब दूर से ही देखकर झेंप जाती है

तेरे यादों का पुलिंदा अब भरी लग रहा है
इंतजार है बस इक तूफां का "धरम"
वह आएगा तो इसे भी उड़ा ले जायेगा