न जाने क्यों उसे अपने क़द का गुमान बहुत ज़्यादा है
उसे दिखता नहीं उससे भी ऊँचा मकान बहुत ज़्यादा है
उसके दरवाजे से जाकर लौटा तो कंगाल हो गया था मैं
औ" लोग कहते थे कि उसके पास ईमान बहुत ज़्यादा है
ये पसंद उसकी थी कि उस कमरे में कुछ भी न पसंद आई
हाँ! उस कमरे में अब भी बुजुर्गों का सामान बहुत ज़्यादा है
जो शराफत की चादर ओढ़कर नफ़रत करते हैं हम रिन्दों से
इस शहर में उसकी मय-ओ-हुस्न की दुकान बहुत ज़्यादा है
तुम्हें तो बोलने की बीमारी है तुम उसके यहाँ कभी मत जाना
काट दी जाती है "धरम" जिसकी चलती जुवान बहुत ज़्यादा है
उसे दिखता नहीं उससे भी ऊँचा मकान बहुत ज़्यादा है
उसके दरवाजे से जाकर लौटा तो कंगाल हो गया था मैं
औ" लोग कहते थे कि उसके पास ईमान बहुत ज़्यादा है
ये पसंद उसकी थी कि उस कमरे में कुछ भी न पसंद आई
हाँ! उस कमरे में अब भी बुजुर्गों का सामान बहुत ज़्यादा है
जो शराफत की चादर ओढ़कर नफ़रत करते हैं हम रिन्दों से
इस शहर में उसकी मय-ओ-हुस्न की दुकान बहुत ज़्यादा है
तुम्हें तो बोलने की बीमारी है तुम उसके यहाँ कभी मत जाना
काट दी जाती है "धरम" जिसकी चलती जुवान बहुत ज़्यादा है