Tuesday 15 October 2019

चंद शेर

1.
रहने दो "धरम" अब इस दिल-ए-ज़ख्म को और ताजा न करो
फिसल जाएगी दोनों ज़िंदगी  ग़र साथ रहने का इरादा न करो

2.
कि भूलने का हुनर या ना भूलने का तरीका "धरम" कुछ भी याद नहीं
बाद एक मौत के दूसरी मौत क्या कहें यहाँ अब मौत भी आबाद नहीं

3.
मुर्दे में पहले जाँ डालता है 'धरम' फिर ज़िस्म छीन लेता है
करके इश्क़ का आगाज़ बाक़ी हर रिश्ते को लील लेता है

4.
एक मुद्दत से 'धरम' तन्हाई को ओढ़े ग़ुमनाम है ज़िंदगी
इश्क़ में सब कुछ लुटाकर भी  कहाँ आवाम है ज़िंदगी

5.
जब बदन पर वतन की मिट्टी मला  चमन का राख लगाया
तब जाकर 'धरम' दरख़्त-ए-इश्क़-ए-वतन का शाख पाया

6.
ढ़लती उम्र की जवानी 'धरम' फिर कहाँ कोई कहानी लिखती है
एक दरिया बहाने के बाद उम्र फिर कहाँ कोई रवानी लिखती है

7.
रात को ओढ़कर "धरम" जब शाम सुबह तक जलती है
तब ख़ुद सुबह पूरे दिन को समेटकर शाम से मिलती है