आपके नुमाइश-ए-हुस्न का मैं एहतराम करता हूँ
चूमकर इस दरिया-ए-हुस्न को मैं सलाम करता हूँ
खुद अपने ज़िस्म को मैं आपके ज़िस्म में उतारकर
मुहब्बत में हवस भी जरुरी है अब ये एलान करता हूँ
चूमकर इस दरिया-ए-हुस्न को मैं सलाम करता हूँ
खुद अपने ज़िस्म को मैं आपके ज़िस्म में उतारकर
मुहब्बत में हवस भी जरुरी है अब ये एलान करता हूँ