1.
गुजरे वक़्त में मैंने खुद को कुछ यूँ तलाशा
जैसे डूब रही हो नैया और छूटती हो आशा ...
गुजरे वक़्त में मैंने खुद को कुछ यूँ तलाशा
जैसे डूब रही हो नैया और छूटती हो आशा ...
2.
मिले तो मुलाकात के कीमत वसूल गए
खुद हसें और मुझको रुला के चले गए ...
खुद हसें और मुझको रुला के चले गए ...
3.
उसने मुझे तन्हा देखा अधूरा समझा
मिला भी तो कहाँ कभी पूरा समझा ...
मिला भी तो कहाँ कभी पूरा समझा ...
4.
तन्हाई की रात थी बहुत देर से गुजरी
ख़ामोशी रौशन थी और साँस थी ठहरी ...
ख़ामोशी रौशन थी और साँस थी ठहरी ...
5.
इश्क में रूठना, नाराज़ होना अदाकारी होता है
जाम अगर न छलके तो कहाँ खुमारी होता है ...
6.
महफ़िल सजी और मेरे इश्क का जनाज़ा निकला
हाय "धरम "ये कैसा प्यार का खामियाजा निकला
7.
अब तो यहाँ हर जगह इन्शां बिकते हैं
मगर फिर भी उसने अपना एतवारी रखा
जाम अगर न छलके तो कहाँ खुमारी होता है ...
6.
महफ़िल सजी और मेरे इश्क का जनाज़ा निकला
हाय "धरम "ये कैसा प्यार का खामियाजा निकला
7.
खतरों का सिलसिला उसने जारी रखा
मुफलिसी में भी इश्क का बीमारी रखा
8.
अब तो यहाँ हर जगह इन्शां बिकते हैं
मगर फिर भी उसने अपना एतवारी रखा