महफ़िल
Wednesday 3 September 2014
चंद शेर
1.
हवा का रुख किधर का भी हो बुझता मेरा ही चिराग है
हर बार हुकूमत की लड़ाई में डूबता मेरा ही आफताब है
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment