Sunday 28 January 2024

कभी आतिश-ए-'इश्क़-ए-बला हो न सका

अपने वुजूद का कोई मुकम्मल फ़ैसला हो न सका 
बेचैनी ऐसी थी कि इश्क़ कभी मश्ग़ला हो न सका

नज़ारा हर ख़्वाब के क़त्ल का नज़रों में घूमता रहा 
ज़ेहन में कभी आतिश-ए-'इश्क़-ए-बला हो न सका 

सितम को शबाब हासिल था  गर्दन बस झुकी रही   
औ" ज़ुबान से कभी भी  कोई क़ल्क़ला हो न सका

मुसलसल ख़्वाब ख़याल नज़र सिर्फ़ जलजला रहा  
किसी और फ़र्ज़ के लिए सीने में ख़ला हो न सका

संग को तराशना रूह देना सीने में महफ़ूज़ रखना 
ऐसा वाक़ि'आ है कि इससे कभी भला हो न सका

तिजारत के सारे इल्म-ओ-फ़न बस नाकाम ही रहे 
मोहब्बत कभी "धरम" ख़ुश-मु'आमला हो न सका  


 

मश्ग़ला : शौक़
क़ल्क़ला : बोलना
जलजला : कष्टदायक
ख़ला : ख़ाली जगह
ख़ुश-मु'आमला : लेन देन में अच्छा 

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