अपने वुजूद का कोई मुकम्मल फ़ैसला हो न सका
बेचैनी ऐसी थी कि इश्क़ कभी मश्ग़ला हो न सका
नज़ारा हर ख़्वाब के क़त्ल का नज़रों में घूमता रहा
ज़ेहन में कभी आतिश-ए-'इश्क़-ए-बला हो न सका
सितम को शबाब हासिल था गर्दन बस झुकी रही
औ" ज़ुबान से कभी भी कोई क़ल्क़ला हो न सका
मुसलसल ख़्वाब ख़याल नज़र सिर्फ़ जलजला रहा
किसी और फ़र्ज़ के लिए सीने में ख़ला हो न सका
संग को तराशना रूह देना सीने में महफ़ूज़ रखना
ऐसा वाक़ि'आ है कि इससे कभी भला हो न सका
तिजारत के सारे इल्म-ओ-फ़न बस नाकाम ही रहे
मोहब्बत कभी "धरम" ख़ुश-मु'आमला हो न सका
मश्ग़ला : शौक़
क़ल्क़ला : बोलना
जलजला : कष्टदायक
ख़ला : ख़ाली जगह
ख़ुश-मु'आमला : लेन देन में अच्छा
No comments:
Post a Comment