Saturday, 28 September 2024

पतंग बदल लेगा

किसे ख़बर थी की वो ख़ुद ही रंग बदल लेगा  
कुछ देर तो साथ रहेगा  फिर ढंग बदल लेगा

जिसे बुलंदी की चाहत है उसका इश्क़ कैसा  
एक पतंग कटेगा तो दूसरा पतंग बदल लेगा

जो टूट गये वो सारे त'अल्लुक़ात तिजारती थे
अब महफ़िल में आने का आहंग बदल लेगा

उसके कोई उसूल थे ही नहीं बस छलावा था   
हरेक बात पर वो  मुद्द'आ-ए-जंग बदल लेगा

रिश्ते को भी उसने उसूलों की तरह ही रखा    
ग़र दिल पर चोट लगेगी  तो शंग बदल लेगा

जब एक पत्थर में दुआ का कोई असर न हो
"धरम" वो फिर कोई  दूसरा संग बदल लेगा
   
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आहंग : तौर तरीक़ा
शंग : दिल लगी करने वाला
संग : पत्थर

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