Saturday 15 June 2019

दिल मरोड़ना पड़ता है

हर बार ख़त मोहब्बत का लिखने से पहले कलम तोड़ना पड़ता है
दिल में कोई भी आरजू पैदा करने के लिए दिल मरोड़ना पड़ता है

कोई इश्क़ कब तक ज़िन्दा रहता है इसका कुछ भी अंदाज़ा नहीं 
मगर हाँ! ज़िन्दा इश्क़  को देखने के लिए  आँख फोड़ना पड़ता है 

कोई एक तहज़ीब दूसरे किसी तहज़ीब से यूँ ही नहीं जुड़ जाता है
कि दोनों के मिट्टी से मिट्टी औ" पानी से पानी को जोड़ना पड़ता है 

ऐ हुस्न-ए-बेपरवाह तुझसे बचकर  निकलना कुछ आसान तो नहीं 
लिए इसके हर दिल को हर बार  ख़ुद-ब-ख़ुद  सिकुड़ना पड़ता है

फ़ैसला ख़ुद अपने ही दिल का  ख़ुद को भी  यूँ ही मंज़ूर नहीं होता 
कि ख़ुद ही से ख़ुद को "धरम" कई बार तन्हाई में लड़ना पड़ता है 

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