1.
अब तो थक चुका हूँ "धरम" बुरा सुनते सुनते भला कहते कहते
अब तो कुछ भी असर नहीं होता इस तरह ज़माने में रहते रहते
2.
नग़मा अब कोई ज़ुबाँ पर आता नहीं किसी भी ज़ख्म पर अब दिल दुखाता नहीं
मौत से पहले मौत की बात "धरम" अब तो ग़ुबार उड़ाता नहीं दिल जलाता नहीं
3.
बाहर तन्हा चारदीवारी अंदर हिज़्र में लिपटे एक-एक जज़्बात
क्या कहें अब तो "धरम" ख़ुद से भी ख़ुद की होती नहीं है बात
अब तो थक चुका हूँ "धरम" बुरा सुनते सुनते भला कहते कहते
अब तो कुछ भी असर नहीं होता इस तरह ज़माने में रहते रहते
2.
नग़मा अब कोई ज़ुबाँ पर आता नहीं किसी भी ज़ख्म पर अब दिल दुखाता नहीं
मौत से पहले मौत की बात "धरम" अब तो ग़ुबार उड़ाता नहीं दिल जलाता नहीं
3.
बाहर तन्हा चारदीवारी अंदर हिज़्र में लिपटे एक-एक जज़्बात
क्या कहें अब तो "धरम" ख़ुद से भी ख़ुद की होती नहीं है बात
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