Wednesday 8 November 2023

दिख रहा सीने के आज़ार भी

कुछ रास्ते की ढलान थी  कुछ था तिरा रफ़्तार भी
उस सफ़र में मुसलसल बदलता रहा किरदार भी 

हरेक पैमाना कह रहा  यहाँ अब  कोई वफ़ा नहीं 
इस बज़्म में बैठे हैं  कई बेवफ़ाई के ख़तावार भी 

यूँ तो मौत की पनाह में कभी शक्ल मुरझाई नहीं         
मगर अब चेहरे पर दिख रहा सीने के आज़ार भी 

पहले दिल को लगा की धड़कन ख़ून-बार हो जैसे        
फिर कलेजे को खलने लगा साँसों के अज़हार भी 
   
एक चेहरा नूरानी था ख़ुर्शीद पेशानी पर रौशन था
साथ इसके मौज़ूद था वहाँ  महताब फुज़ूँ-कार भी

तिरा होना जैसे पलकों का  आँखों से रिश्ता बुनना 
क्या की "धरम" छुप के भी रहना औ" नुमूदार भी  



------------------------------------
ख़तावार : जिसपर अपराध सिद्ध हो चुका हो 
ख़ून-बार: ख़ून बरसाने वाला
अज़हार: दीपक जलाना, चिराग़ रौशन करना
फुज़ूँ-कार: उन्नति देने वाला, बढ़ाने वाला, प्रोत्साहक  
नुमूदार: सामने आना

No comments:

Post a Comment