अभी तो मैंने कुछ कहा भी न था औ" फैसला सुना दिया गया
इश्क़ के समंदर में फिर से ज़हर नफरत का फैला दिया गया
फिर वो बात मोहब्बत से की गई फिर वो ज़ख्म सहलाया गया
बाद सहलाने के ज़ख्म को फिर से कुरेदकर रुला दिया गया
यहाँ तो हर बात अजीब लगती है हर चेहरा अजनबी लगता है
ऐसा क्यूँ हो गया कि यहाँ हर ज़ुबाँ औ" शक़्ल भुला दिया गया
किस उम्मीद से तराशा था पत्थर ये कैसी सूरत उभरकर आई
एक बार भर नज़र देखा फिर उस उम्मीद को सुला दिया गया
जब भी देखा उसका एक ही चेहरा कई शक़्ल में नज़र आया
आँख मूँदकर हरेक शक़्ल को एक-दूसरे से मिला दिया गया
एक ही बात पर कभी बेबाक़ हुए कभी तो दिल थामकर बैठा
कि एक किरदार में दूसरे किरदार को 'धरम' जिला दिया गया
इश्क़ के समंदर में फिर से ज़हर नफरत का फैला दिया गया
फिर वो बात मोहब्बत से की गई फिर वो ज़ख्म सहलाया गया
बाद सहलाने के ज़ख्म को फिर से कुरेदकर रुला दिया गया
यहाँ तो हर बात अजीब लगती है हर चेहरा अजनबी लगता है
ऐसा क्यूँ हो गया कि यहाँ हर ज़ुबाँ औ" शक़्ल भुला दिया गया
किस उम्मीद से तराशा था पत्थर ये कैसी सूरत उभरकर आई
एक बार भर नज़र देखा फिर उस उम्मीद को सुला दिया गया
जब भी देखा उसका एक ही चेहरा कई शक़्ल में नज़र आया
आँख मूँदकर हरेक शक़्ल को एक-दूसरे से मिला दिया गया
एक ही बात पर कभी बेबाक़ हुए कभी तो दिल थामकर बैठा
कि एक किरदार में दूसरे किरदार को 'धरम' जिला दिया गया
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