वो ज़माना था करेंट के एक तरफ़ा प्रवाह का
पारंपरिक ईंधन के ख़त्म होने के आगाह का
सुदूर लोड तक पहुँचने में गिरता था वोल्टेज
लॉस बहुत होता था वह मुद्दा था परवाह का
फिर मुद्दा आया पूरी क़ायनात की नेकी का
जरुरत लगी इसमें शोधकर्त्ता के इत्माह का
दौर था फिर ऊर्जा के वितरित उत्पादन का
साथ एक बंधन भी था क़ुदरत से निबाह का
बाद इसके जब और भी कुछ जरूरतें बढ़ी
भंडारण आया फिर उपभोक्ता की चाह का
इसके सर्वोत्तम उपयोग की चर्चा चलने लगी
इल्म था नियंत्रण और प्रबंधन के अथाह का
हर वक़्त हुक्म की ग़ुलामी जब खलने लगी
तब ख़याल आया ख़ुद में छोटे बादशाह का
बग़ैर ग्रिड के वह ख़ुद दे सकता है आपूर्ति
एक और दौर चला फिर वहाँ वाह-वाह का
स्टेब्लिटी रिलायबिलिटी प्रोटेक्शन या अन्य
सारे के सारे पहलू पर सवाल था निर्वाह का
शोधक हर पहलू पर "धरम" लगे हैं ईमान से
तारीकी ख़त्म होगी होगा अंत हर सियाह का
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इत्माह : नज़रबाज़ी, नज़र उठा कर देखना
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